Skip to main content

Posts

Showing posts from October, 2020

हो जाए फिर अजनबी

 समझकर ख़्वाब पिछली बातों को, चैने से सो जाते है  चलो सबकुछ भूलकर हम, पहले जैसे हो जाते है   हो जाते है अजनबी जैसे जानते ही ना हो किसी को  दूर से ही देख लूंगा, जैसे आसमां देखता जमीं को पता ही ना होगा कि हम दिल से तुम्हे चाहते है  चलो सबकुछ भूलकर हम, पहले जैसे हो जाते है  तुम चाहोगी मन ही मन, आऊंगा मै फिर सपना बन बात कैसे होगी अपनी मन में रहेगी ये उलझन  चलो मन ही मन में बाते कर फिर दोनों मुस्काते है  चलो सबकुछ भूलकर हम, पहले जैसे हो जाते है  छोड़ के रंजिशे वर्तमान की अतीत में खो जाते है  चलो सबकुछ भूलकर हम पहले जैसे हो जाते है  जाग के आधी रात को यादों में तेरी फिर सो जाते है चलो सबकुछ भूलकर हम पहले जैसे हो जाते है  नरेन्द्र मालवीय