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बांटने मे प्यार कोई हर्ज़ नही है...
ये खुशबू है फूलों की, कोई मर्ज़ नही है..
ये चीज़ वो नही है कि ले लिया जिसे उधार..
ये दिल कि है दुआ ये कोई कर्ज नही है...
हमने ये मुकां दुनिया मे ऐसे ही बनाया..
दुनिया बुरी है लेकिन खुदगर्ज़ नही है...
रास्ते मे जो मिला उसे, दे दी हर ख़ुशी..
अल्लाह के बन्दे क्या तेरा कोई फ़र्ज़ नही है...
बांटने मे प्यार कोई हर्ज़ नही है...
ये खुशबू है फूलों की, कोई मर्ज़ नही है..
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''नरेन्द्र मालवीय''
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