तुम आस हो, विश्वास हो
सच कहें तो दूर होकर भी पास हो
तुम करुणा हो, प्रेरणा हो
इसलिए तो खास हो
तुम अविरल हो, निश्चल हो
नदी की तरह बेहती चंचल हो
तुम धूप हो, तुम दीप हो
हमेशा दिल के समीप हो
तुम एक विचार हो, नदी की धार हो
जीवन का आधार हो
तुम सौंदर्य हो, तुम ही रूप हो
कम नहीं किसी से बहुत खूब हो
थोड़ी नौटंकी, हो थोड़ी बदमाश
खुश रहो, ना रहो उदास
सचमुच तुम हो खास
तुम ही आस, तुम ही विश्वास
दूर रह कर भी हो मेरे पास
✍️ नरेन्द मालवीय
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