फिर से देखो आसमान में, चांद के साथ सितारा है
क्या उसे फिर मांगोगे? जों पहले से ही तुम्हारा है
मन की आखों से तुम देखो सब कुछ ही हमारा है
क्या उसे फिर मांगोगे? जों पहले से ही तुम्हारा है
हर माह में एक बार जब अमावस्या आ जाती है
काली काली रात अंधेरी आसमान में छाती है
धीरे धीरे पूनम तक फिर चांद पुरा खिल जाता है
संग सितारों के फिर चंदा आसमान में छाता है
फिर से देखो आसमान में, कितना सुंदर नजारा है
क्या उसे फिर मांगोगे? जों पहले से ही तुम्हारा है
फूल सदा खिलते आंगन में, पतझड़ में फिर झड़ते है
सावन की बौछारों से फिर नए फूल भी खिलते है
काली काली घनघोर घटाए आसमान में छाती है
पर बारिश की बूंदों से धरती फिर हरी भरी हो जाती है
देखो मन की आखों से सबकुछ प्यारा प्यारा है
क्या उसे फिर मांगोगे? जों पहले से ही तुम्हारा है
✍️ नरेन्द्र मालवीय
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