मुफलिसी में भी जों खुदाई ढूंढ ले
कमबख्त वो बुराई में भी अच्छाई ढूंढ ले
ऐसे ही नहीं लगती आग दिलो में यारों
हम तो बारिश में भी यार की परछाई ढूंढ ले
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और ढूंढ़ना हो तो उस शक्स को ढूंढो यारों
जो तुम्हारे झूठ में भी सच्चाई ढूंढ ले
हमने देखे है कई रंग इस मौसम के
हम तो उसकी बेफफाई में भी वफाई ढूंढ ले
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जमा कर रखा है लोगो ने मैल दिलो में
हम प्यार में ही दिलो की ढूंढ ले
कह गया वो रूबरू हम से हुआ था जब
रहना न होगा साथ, अब तन्हाई ढूंढ ले
थक गया है लहू उसके जुनून में
अब कर आराम चारपाई ढूंढ ले
✍️ नरेन्द्र मालवीय
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