जो आया है उसे जाना है जग से,
फिर क्यूँ हसते, रोते हम है..
न कोई ख़ुशी, न कोई गम है,
ये तो बस मन का व्यह्म है..
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निकला जो सूरज डूबेगा ही,
अपरिवर्तन से मन उबेगा ही..
परिवर्तन ज़रूरी है मन के लिए,
यही प्रक्रति का नियम है..
न कोई ख़ुशी, न कोई गम है,
ये तो बस मन का व्यह्म है..
मन के चाहने से, होती कृपा है,
मन खफां तो दुनिया खफां है..
मन ही पहुचाए चोट सभी को,
मन ही लगाता मरहम है..
न कोई ख़ुशी, न कोई गम है,
ये तो बस मन का व्यह्म है..
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मन के हारे हार यहाँ पर,
मन के जीते जीत है..
मन से हर रिश्ते नाते,
मन के सब मौसम है..
न कोई ख़ुशी, न कोई गम है,
ये तो बस मन का व्यह्म है..
✍️ नरेन्द मालवीय
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