Apple जैसे गाल है तेरे, रहते फूले-फूले..
रहूँ कहीं भी मेरी बहना, भाई तुझे न भूले..
सावन के झूले, तेरे संग झूले..
कैसे हम भूलें, सावन के झूले..
तेरा गुड्डा - तेरी गुडिया,
तेरी बातें जैसे फुलझड़ियाँ
मेहँदी मेरे हाथों पर,
लगाती थी तू कितनी बढ़िया..
अब तक हम नही भूले,
जो बनाये तुने मिटटी के चूल्हे..
सावन के झूले, तेरे संग झूले..
कैसे हम भूलें, सावन के झूले..
ये जो बंधन है ऐसा बंधन है,
एक खुशबु एक चन्दन है..
कच्चे धागे सा ये नही रिश्ता,
मेरी खुशियों का तू स्पंदन है...
Apple जैसे गाल है तेरे, रहते फूले-फूले..
रहूँ कहीं भी मेरी बहना, भाई तुझे न भूले..
सावन के झूले, तेरे संग झूले..
कैसे हम भूलें, सावन के झूले..
✍️ नरेंद्र मालवीय
दर्द हो जो उसे कभी, टूट जाता हूँ मैं,
ReplyDeleteखुशी में उसकी, फूला नहीं समाता हूँ मैं।
आँखें नम ना हों तेरी कभी,
चलता रहे हमारा प्यार यूँ ही।
दुआ माँग, करता हूँ रब से ये पुकार,
मिले हर जन्म में मेरी बहना मुझे, हर बार।
Nice
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