राम भजन
ठान लिया जों मन में भक्तों
होते पूरे काम
मेरे मन में भी है राम
तेरे मन में भी है राम
कण-कण में है राम
कण-कण में है राम
ठानी जों मन में हनुमान ने तो
लंका में आग लगा दी
सीने को चीर दिया अपने
सियाराम की मूरत दिखा दी
जहा बसते श्री राम प्रभु
बसते वहां हनुमान
मेरे मन में भी है राम
तेरे मन में भी है राम
कण-कण में है राम
कण-कण में है राम
सूनी पड़ी थी अयोध्या नगरी
फिर से जगमग हो गई
भक्तो के मन की जों थी इच्छा
वो भी पूरी हो गई
पूरी ना हुई जब तक मनोकामना
किया नहीं विश्राम
मेरे मन में भी है राम
तेरे मन में भी है राम
कण-कण में है राम
कण-कण में है राम
✍️ नरेन्द्र मालवीय
बहोत सुंदर रचना!!! जय श्री राम
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