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  अटल थे अपने सत्य पे वो, जानता सारा हिन्दुस्तान  बसता था जिनके दिल मे आलौकिक कवि महान  भूमि के दर्द को जिसने कर दिया था शब्दो से बयान राजनेता, कवि, फिर भारत रत्न का सम्मान २५ दिसम्बर उनके जन्मदिन पर उनको सादर प्रणाम
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खाली मन

  खाली मन तो खाली जीवन फिर खाली सब संसार है.. इस खाली मन के कोने में भी, छुपा कही तो प्यार है..  चंचलता है जिसका गुण, टिकता नही जगह पर वो..  और अगर मन टिक जाये, तो भी जीवन बेकार है.. सुख दुःख दो कोने हे मन के, एक एक करके आते है.. सुख को सब अपनाते हे, पर दुःख से क्यों घबराते है.. सुख में भरे और दुःख में खाली, ये कैसा संसार है... इस खाली मन के कोने में भी, छुपा कही तो प्यार है.. जो आया हुआ है, आखिर उसको भी तो एक दिन जाना है.. चला गया जो आकर यारों उसके लिए क्या पछताना है.. डर गया जो खालीपन से उसका जीना बेकार है.. इस खाली मन के कोने में भी, छुपा कही तो प्यार है.. ............................nrd.................................

डर मत, कदम बढ़ा

  डर मत, कदम बढ़ा, बहा के देख पसीना हिम्मत तो जुटा फिर आसमां भी तुझे लगेगा बोना  धैर्य के साथ परिश्रम से धरती भी उगलती सोना  हिम्मत तो जुटा फिर आसमां भी तुझे लगेगा बोना  कदम जो तेरे लड़खड़ाए ये सोच जहां में क्यों आए लक्ष्य अगर साथ हो मजाल है कि तू रुक जाए  मेहनत पर कर भरोसा किस्मत पर कभी न रोना  हिम्मत तो जुटा फिर आसमां भी तुझे लगेगा बोना  मिल गई जो सीख तुझे गलती ना दुबारा कर  नज़रिया रख भलाई का लक्ष्य पे गड़ा अपनी नजर  एक दिन तेरे नाम से गूंजेगा हर एक कोना  हिम्मत तो जुटा फिर आसमां भी तुझे लगेगा बोना  डर मत, कदम बढ़ा, बहा के देख पसीना  हिम्मत तो जुटा फिर आसमां भी तुझे लगेगा बोना  धैर्य के साथ परिश्रम से धरती भी उगलती सोना  हिम्मत तो जुटा फिर आसमां भी तुझे लगेगा बोना 

Happy diwali

  सीख इन दियों से अंधेरों में जलना तू सीख  छोटी सी ज्योति से, सर्द हवाओं से लड़ना तू सीख  सिर्फ पटाकों का शोर नहीं दिवाली अपनों से मिलना भी है  बैर सारे भूल के साथ साथ चलना तू सिख गणेश लक्ष्मी सरस्वती संग तीनों पूजे जाते है  विद्या बुद्धि धन सदा हम इनसे ही तो पाते है सिख उन गुणों को जो राम, सीता, लक्ष्मण में है सिख उन 14 वर्षो  से उन्होंने जो गुजारे वन में है बरसो के संघर्ष से ही तो आती है एसी दिवाली  रोशनी है चारो तरफ, घर घर में पहुंची खुशहाली ✍️ *नरेंद्र मालवीय*

हो जाए फिर अजनबी

 समझकर ख़्वाब पिछली बातों को, चैने से सो जाते है  चलो सबकुछ भूलकर हम, पहले जैसे हो जाते है   हो जाते है अजनबी जैसे जानते ही ना हो किसी को  दूर से ही देख लूंगा, जैसे आसमां देखता जमीं को पता ही ना होगा कि हम दिल से तुम्हे चाहते है  चलो सबकुछ भूलकर हम, पहले जैसे हो जाते है  तुम चाहोगी मन ही मन, आऊंगा मै फिर सपना बन बात कैसे होगी अपनी मन में रहेगी ये उलझन  चलो मन ही मन में बाते कर फिर दोनों मुस्काते है  चलो सबकुछ भूलकर हम, पहले जैसे हो जाते है  छोड़ के रंजिशे वर्तमान की अतीत में खो जाते है  चलो सबकुछ भूलकर हम पहले जैसे हो जाते है  जाग के आधी रात को यादों में तेरी फिर सो जाते है चलो सबकुछ भूलकर हम पहले जैसे हो जाते है  नरेन्द्र मालवीय

अनसुलझी

  हर बार की ही तरह, कुछ उलझी हुई  थोड़ी थोड़ी खोई, थोड़ी सुलझी हुई  वहीं भरा हुआ बचपना, हेमा जैसा  अद्भुत खुलापन, आसमा जैसा  मै भी कुछ कम नहीं अक्सर छेड़ दिया करता हूं  बुने हुए ख्याबो को उनके सामने उधेड़ दिया करता हूं  वो मुस्कुराना इतराना रूठना मानना ये सब जो क्रियाएं है  मुझे ले  जाती है अतीत की गहराइयों में  एक सफ़र है ये जो जीवन, और मै जीना भी ऐसे ही चाहता था, अनसुलझी परछाइयों में  बस अब कुछ नहीं जितना है पास वो ही सही  सदाबहार नगमो सा में गुनगुनाता हूं  मै कुछ सोचता ही नहीं, मगर जब भी सोचता हूं  लिखता चला जाता हूं  अजीब हू मगर वाजिब हूं, हूं आदत से मजबुर  है पास मेरे बस मेरा हुनर, खुदा हाफ़िज़ हुजूर  ✍️ नरेन्द्र मालवीय

गणपति in 2020

 भजन  आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति देवो में सबसे पहला, है नाम गणपति  तुमसे हमारी सुबह और शाम गणपति  आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति   संकट में पूरी दुनियां, फैली है महामारी  मंदिर की घंटी बन्द है खामोश हैं पुजारी  तुमसे हैं आस सबकी, बुद्धि के तुम हो दाता भक्तो पे कृपादृष्टि बरसाओ है विधाता आते ही करदो पहला ये काम गणपति कोरोनो से बचालो हमरे प्राण गणपति  आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति देवो में सबसे पहला, है नाम गणपति  शंकर तुम्हारे पापा, माता है पार्वती  कार्तिक तुम्हारे भैया, है सबके गणपति संग तुम्हारे पुजी जाती, लक्ष्मी सरस्वती आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति दूजा ये काम करना, है चीन से भी लड़ना  दुजी बड़ी बीमारी, आजाएगी वरना  बुद्धि फिरी है चीन की आंखे हमें दिखता  तुमसे हैं आस सबकी, बुद्धि के तुम हो दाता कर देंगे अबकी मिलके ये काम गणपति मिल जाएगा मिट्टी में, चीन नाम गणपति आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति देवो में सबसे पहला, है नाम गणपति  ✍️ नरेन्द्र मालवीय