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Showing posts from August, 2020

गणपति in 2020

 भजन  आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति देवो में सबसे पहला, है नाम गणपति  तुमसे हमारी सुबह और शाम गणपति  आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति   संकट में पूरी दुनियां, फैली है महामारी  मंदिर की घंटी बन्द है खामोश हैं पुजारी  तुमसे हैं आस सबकी, बुद्धि के तुम हो दाता भक्तो पे कृपादृष्टि बरसाओ है विधाता आते ही करदो पहला ये काम गणपति कोरोनो से बचालो हमरे प्राण गणपति  आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति देवो में सबसे पहला, है नाम गणपति  शंकर तुम्हारे पापा, माता है पार्वती  कार्तिक तुम्हारे भैया, है सबके गणपति संग तुम्हारे पुजी जाती, लक्ष्मी सरस्वती आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति दूजा ये काम करना, है चीन से भी लड़ना  दुजी बड़ी बीमारी, आजाएगी वरना  बुद्धि फिरी है चीन की आंखे हमें दिखता  तुमसे हैं आस सबकी, बुद्धि के तुम हो दाता कर देंगे अबकी मिलके ये काम गणपति मिल जाएगा मिट्टी में, चीन नाम गणपति आरम्भ होता तुमसे, हर काम गणपति देवो में सबसे पहला, है नाम गणपति  ✍️ नरेन्द्र मालवीय

मेरा हौसला है तू, मै तेरा हौसला हूं।

गीत ना रहो मायूस से तुम, ना रहो परेशान से।  मै तुम्हारा हूं सदा ये बोल दो अभिमान से।।  सात जन्मों की की दुआ तक मै तुम्हारा फैसला हूं। की मेरा हौसला है तू, मै तेरा हौसला हूं।।  तुम मेरे नज़दीक से यूं, तुम मेरे आगोश से  खोल दो राज़ अपने ना रहो खामोश से  तुम कलाकार मेरे मै तुम्हारी ही कला हूं।  की मेरा हौसला है तू, मै तेरा हौसला हूं। ना रहो मायूस से तुम, ना रहो परेशान से।  मै तुम्हारा हूं सदा ये बोल दो अभिमान से।।  सात जन्मों की की दुआ तक मै तुम्हारा फैसला हूं। की मेरा हौसला है तू, मै तेरा हौसला हूं।।  तुम हमारी हो तकदीर तुम हमारी ही तस्वीर  तुम हमारी दासता हो हम तुम्हारी ही जागीर  तुम हो निर्मल पानी सी पानी का मै बुलबला हूं की मेरा हौसला है तू, मै तेरा हौसला हूं। ना रहो मायूस से तुम, ना रहो परेशान से।  मै तुम्हारा हूं सदा ये बोल दो अभिमान से।।  सात जन्मों की की दुआ तक मै तुम्हारा फैसला हूं। की मेरा हौसला है तू, मै तेरा हौसला हूं।।  ✍️ नरेन्द्र मालवीय

बारिश की बौछारों से

बारिश हुई पर भीग न पाया, बारिश की बौछारों से... ठोकर खाकर वापस आया, मेरा मन दीवारों से... छोटी छोटी बूंदें ये, पत्थर जैसी लग रही... परख रहा है हर कोई, मुझे अपने-अपने विचारों से... https://amzn.to/2EpjUCw अपरिवर्तित था जब मै, सबने चाहा परिवर्तन.. ठोस, जब तरल हुआ, साथ छोड़ गया बर्तन.. बेह रहा अब इधर उधर, अनचाही दरारों से... ठोकर खाकर वापस आया, मेरा मन दीवारों से... बारिश हुई पर भीग न पाया, बारिश की बौछारों से... ठोकर खाकर वापस आया, मेरा मन दीवारों से... https://amzn.to/2EpjUCw फिर अचानक मुझे खुदा की आवाज़ आई... बोले खुदा मै हु रचयिता, ये दुनिया मैंने रचाई... दुनिया एक शतरंज यहा पे, क्यों डरता इन चालों से.. तेरा मन मजबूत बनेगा, टकराकर दीवारों से.. कब तक जियेगा तू बन्दे औरों के सहारों से... फिर हुई जो बारिश ऐसी, भीगा मै बौछारों से.. https://amzn.to/2EpjUCw ✍️ नरेन्द्र मालवीय

मै स्वार्थी बन जाऊं, तेरी सारथी बन जाऊं

तुम बनो मेरी पूजा,  मै आरती बन जाऊ तेरे प्रेम रथ की मै, बस सारथी बन जाऊ  बहुत जिया दुनिया के लिए, खुद को भूलकर तेरे लिए जीऊंगी अब,  थोड़ी स्वार्थी बन जाऊ  https://amzn.to/3gb6WpN तुम बनो मेरी पूजा,  मै आरती बन जाऊ तेरे प्रेम रथ की मै, बस सारथी बन जाऊ  हल्दी चन्दन का टीका,  बन जाऊ तेरे माथे कि रोली लग कर तेरे सीने से,  तेरी बाहों में ही दुनिया संजोली  https://amzn.to/3gb6WpN बन के जोगन प्रेम में तेरे,  बस तुझमें ही रम जाऊ  तेरे प्रेम रथ की मै तो  अब बस सारथी बन जाऊ तुम बनो मेरी पूजा,  मै आरती बन जाऊ तेरे प्रेम रथ की मै, बस सारथी बन जाऊ  https://amzn.to/3gb6WpN ✍️ नरेन्द्र मालवीय

कण-कण में है राम

राम भजन ठान लिया जों मन में भक्तों  होते पूरे काम मेरे मन में भी है राम तेरे मन में भी है राम  कण-कण में है राम कण-कण में है राम ठानी जों मन में हनुमान ने तो लंका में आग लगा दी  सीने को चीर दिया अपने  सियाराम की मूरत दिखा दी जहा बसते श्री राम प्रभु बसते वहां हनुमान  मेरे मन में भी है राम तेरे मन में भी है राम  कण-कण में है राम कण-कण में है राम सूनी पड़ी थी अयोध्या नगरी  फिर से जगमग हो गई  भक्तो के मन की जों थी इच्छा  वो भी पूरी हो गई  पूरी ना हुई जब तक मनोकामना  किया नहीं विश्राम  मेरे मन में भी है राम तेरे मन में भी है राम  कण-कण में है राम कण-कण में है राम ✍️ नरेन्द्र मालवीय

रक्षा बंधन

Apple जैसे  गाल है  तेरे,  रहते फूले-फूले.. रहूँ कहीं भी मेरी बहना, भाई तुझे न भूले..     सावन के झूले, तेरे संग झूले.. कैसे हम भूलें, सावन के झूले.. तेरा गुड्डा - तेरी गुडिया,  तेरी बातें जैसे फुलझड़ियाँ  मेहँदी मेरे हाथों पर,  लगाती थी तू कितनी बढ़िया..  अब तक हम नही भूले,  जो बनाये तुने  मिटटी के  चूल्हे.. सावन के झूले, तेरे संग झूले.. कैसे हम भूलें, सावन के झूले.. ये जो बंधन है ऐसा बंधन है,  एक खुशबु एक चन्दन है.. कच्चे धागे सा ये नही रिश्ता,  मेरी खुशियों का तू स्पंदन है... Apple जैसे  गाल है  तेरे,  रहते फूले-फूले.. रहूँ कहीं भी मेरी बहना, भाई तुझे न भूले..     सावन के झूले, तेरे संग झूले.. कैसे हम भूलें, सावन के झूले.. ✍️ नरेंद्र मालवीय

दोस्ती

Happy friendship day धूल में हम संग संग खेले, संग में खेला कंचा संग में हमने क्रिकेट खेला, खेला गिल्ली डंडा हैं सच्चे दोस्त हम पर पक्के बेशरम  बिछड़ जाये हम भले पर भूलेंगे ना हम  https://amzn.to/2DWFUUZ याद आई स्कूल, कॉलेज की वो सारी बातें चाय बंगाली, रम, विस्की, मस्ती वाली राते लड़ते थे हम भले पर रहते संग संग हैं सच्चे दोस्त हम पर पक्के बेशरम  बिछड़ जाये हम भले पर भूलेंगे ना हम https://amzn.to/2DWFUUZ जेब मेरी खर्चा तेरा हो गया बिल लंबा  जेब में पैसे नहीं तो हो गया फिर पंगा  जब साथ तू मेरे फिर क्यूं हो कोई हम हैं सच्चे दोस्त हम पर पक्के बेशरम  बिछड़ जाये हम भले पर भूलेंगे ना हम https://amzn.to/2DWFUUZ धूल में हम संग संग खेले, संग में खेला कंचा संग में हमने क्रिकेट खेला, खेला गिल्ली डंडा हैं सच्चे दोस्त हम पर पक्के बेशरम  बिछड़ जाये हम भले पर भूलेंगे ना हम  ✍️ Ankit Tiwari india